निसान इंडिया ने भारत में बंद किया डैटसन का कारोबार, कम ब्रिकी के चलते कंपनी ने लिया ये फैसला
4/22/2022 3:52:43 PM

ऑटो डेस्क. निसान इंडिया ने साल 2013 में डैटसन ब्रांड को भारत में लॉन्च किया था। इसके साथ इंडोनेशिया और रूस में भी छोटी और सस्ती कारों के साथ लॉन्च हुई थी। हालांकि, इन सभी बाजारों में कंपनी को कोई खास सफलता नहीं मिली। भारत में जुलाई 2013 के दिल्ली ऑटो एक्सपो में डैटसन की पहली कार 'गो' (Datsun GO) हैचबैक को लॉन्च किया गया था। साल 2014 में इसे ग्राहकों के लिए उपलब्ध किया गया। उस समय इसकी कीमत 3.12 लाख-3.69 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) के बीच थी। मारुति सुजुकी और हुंडई की कारों के कारण इसकी ब्रिकी कभी अच्छी नहीं रही। गो के बाद साल 2015 में डैटसन गो+ लॉन्च की गई। डैटसन गो+ की कीमत ने लोगों को आकर्षक किया लेकिन कार का डिजाइन पसंद नहीं आया। अब निसान इंडिया ने भारत में डैटसन के कारोबार को बंद करने का फैसला किया है।
निसान इंडिया ने कहा- 'वह Go, Go+ और redi-Go मॉडलों का उत्पादन बंद कर रही है। डैटसन के मौजूदा ग्राहकों के लिए सेल्स और सर्विसिंग से जुड़ी सेवाएं जारी रखी जाएंगी। निसान की वैश्विक परिवर्तन रणनीति के हिस्से के रूप में, कंपनी मुख्य मॉडल और सेगमेंट पर ध्यान केंद्रित कर रही है जो ग्राहकों, डीलर भागीदारों और व्यापार के लिए सबसे अधिक लाभ लाती है। डैटसन रेडिगो का उत्पादन चेन्नई संयंत्र में बंद हो गया है।'
बढ़ रहा था घाटा
जनवरी से दिसंबर 2021 के बीच 12 महीने में डैटसन ने भारत में केवल 4,296 यूनिट्स बेचीं, जिसमें कार निर्माता की बाजार हिस्सेदारी सिर्फ 0.09 प्रतिशत थी। कंपनी के बंद होने का कारण लगातार कम ब्रिकी बाजार जा रहा है।
मौजूदा ग्राहकों के लिए जारी रहेंगी सेवाएं
कंपनी ने कहा- 'निसान इंडिया का देश भर में एक मजबूत नेटवर्क है, जिसके चलते ग्राहकों को सर्विस टचप्वाइंट या वर्कशॉप तक पहुंचने में परेशानी नहीं होगी। हम सभी मौजूदा और भविष्य के डैटसन मालिकों को आश्वस्त कर सकते हैं कि ग्राहकों की संतुष्टि हमारी प्राथमिकता है, और हम अपने राष्ट्रीय डीलरशिप नेटवर्क से बिक्री के बाद सेवा, भागों की उपलब्धता और वारंटी समर्थन के उच्चतम स्तर प्रदान करना जारी रखेंगे।'
इस कारण बंद हुई कंपनी
डैटसन ने भारत में कभी उड़ान नहीं भरी, जिसकी कंपनी ने उम्मीद की थी। भारत में लॉन्च के बाद डैटसन और उसकी जापानी सहयोगी ब्रांड, होवर ऑटोमोटिव इंडिया (एचएआई) के बीच साझेदारी समाप्त हो गई जिसने भारत में इसकी सेल्स और सर्विस नेटवर्क को अस्त-व्यस्त कर दिया। डैटसन के मॉडल खराब वेल्डिंग और वायरिंग, खराब प्लास्टिक की गुणवत्ता और बुनियादी उपकरणों और फीचर्स की कमी से ग्रस्त थे। डैटसन की ज्यादा कॉस्ट कटिंग से कार की गुणवत्ता खराब हो गई और यह भारतीय ग्राहकों को पसंद नहीं आई।