आपकी अगली कार में हो सकती हैं ये Technologies
4/24/2016 12:48:22 PM

जालंधर : कारों की टैक्नोलॉजी लगातार बदलती जा रही है। पहले कारें मैनुअल ट्रांसमिशन के साथ आती थीं, फिर ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन आया और अब हाईब्रिड टैक्नोलॉजी देखने को मिल रही है। कई कम्पनियां बिना ड्राइवर के चलने वाली गाडिय़ां भी बना रही हैं।
लग्जरी गाडिय़ों में चालक और पैसेंजर की सुरक्षा, सुविधा और इंफोटेंमैंट से जुड़े बहुत से फीचर्स दिए जा रहे हैं लेकिन आने वाले समय में ये फीचर्स सस्ती कारों में भी देखने को मिलेंगे और हो सकता है आपकी नई कार में ये सुविधाएं हों। आइए जानते हैं ऑटोमोबाइल वर्ल्ड से जुड़ी ऐसी टैक्नोलॉजी के बारे में जो कुछ सालों में हर सस्ती कार में देखने को मिलेगी।
दुर्घटना से बचाने वाली टैक्नोलॉजी
जीप, टोयोटा, वोल्वो, निसार और कई ऐसी कम्पनियां हैं जो दुर्घटना से बचाने वाली तकनीक की पेशकश अपनी खास कारों में कर रही हैं। इसमें टकराव से पहले चेतावनी देना और अपने-आप कार की ब्रेक लग जाना शामिल हैं। अच्छी खबर यह है कि कई सारी कम्पनियां अपनी कारों में इस तकनीक को ला रही हैं जिससे आने वाले समय में सस्ती कारों में भी यह तकनीक देखने को मिलेगी।
एप्पल कार प्ले और एंड्रॉयड ऑटो
हर कार में एक जैसा इंफोटेंमैंट सिस्टम हो और लोग दुविधा में न पड़ें, इसके लिए एप्पल और गूगल अपने स्मार्टफोन के इंटरफेस को कारों के इंफोटेंमैंट सिस्टम में लेकर आ रही हैं। एप्पल कार प्ले 100 से ज्यादा कारों में उपलब्ध है और एंड्रॉयड ऑटो भी कई सारी कारों में पहले से ही उपलब्ध करवाया जा रहा है।
टर्बोचार्जर का इस्तेमाल
थोड़ा वजन बढ़ाकर इंजन में ज्यादा पावर पैदा करने के लिए टर्बोचार्जर का प्रयोग होता है। टर्बोचार्जर से इंजन में ज्यादा हवा जाती है और इंजन अधिक कुशलता से कार्य करता है। हालांकि यह तकनीक कई सालों से उपलब्ध है लेकिन अब इस तकनीक का प्रयोग ज्यादा होने लगा है ताकि पावर और फ्यूल एफिशिएंसी को बढ़ाया जा सके।
ऑगमेंटेड रियलिटी
इससे कार चालक और उसके परिवार के सदस्यों को यह समझने में आसानी होगी कि कार में कहां-कहां बटन्स लगे हैं और हर बटन क्या काम करता है। इससे अंदाजा लगाने या चैक करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। टैक इन्साडर की रिपोर्ट के मुताबिक हुंडई ऑगमेंटेड रियलिटी पर काम भी कर रही है।
वायरलैस फोन चार्जिंग
कारों में फोन को चार्ज करने का विकल्प होता है और कई बड़ी कारों में वायरलैस चार्जिंग सिस्टम भी होता है लेकिन आने वाले समय में यह तकनीक छोटी कारों में भी देखने को मिलेगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि अब बहुत से स्मार्टफोन्स में वायरलैस चार्जिंग का आप्शन आ रहा है।