रोबोट्स को भी होगा दर्द का एहसास
5/30/2016 9:28:15 AM
जालंधर : बहुत से कामों में रोबोट्स का प्रयोग होने लगा है। बड़े-बड़े कारखानों के अलावा अब तो होटलों में भी रोबोट्स का प्रयोग हो रहा है और इसका उदाहरण जापान के कई होटलों में देखने को मिलता है। जापान के कुछ होटलों में रोबोट्स रिसैप्शनिस्ट की भूमिका निभाते हुए ग्राहकों की मदद करते हैं। मगर रोबोट्स को और भी बेहतरीन बनाने के लिए कई सारे वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं और इन्हीं में से जर्मनी के वैज्ञानिकों का एक समूह रोबोटिक नर्वस सिस्टम पर काम कर रहा है।
जर्मनी की लेबनीज यूनिवर्सिसटी ऑफ हैनोवर के शोधकर्त्ता Johannes Kuehn और Sami Haddaddin ने पिछले सप्ताह स्वीडन के स्टॉकहोल्म स्थित आईईईई इंटरनैशनल कांफ्रैंस ऑन रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन में इस रिसर्च को पेश किया है।
रोबोट्स भी महसूस कर सकेंगे फीलिंग्स
इस नर्वस सिस्टम की मदद से रोबोट्स को भी दर्द होगा जिससे लोगों की मदद करते समय रोबोट्स उनका ज्यादा ख्याल रख सकेंगे। Kuehn ने आईईईई में बताया कि दर्द ही ऐसा सिस्टम है जो हमें बचाता है। जब हम दर्द के स्रोत का पता लगा लेंगे तो यह खुद को चोट से बचने के लिए मदद करेगा। कूका रोबोटिक आर्म पर शोधकर्त्ताओं ने एक बॉयोटैक फिंगरटिप सैंसर लगाया है जो दर्द होने पर प्रतिक्रिया देता है। इसके ऊपर इंसानी टिश्यू की तरह ही बनावटी नर्वस टिशू भी लगाया गया है जो कुछ सीमा तक दर्द के लैवल को माप सकता है।
कैसे काम करता है रोबोट
इसका एक डैमो वीडियो भी दिखाया गया है जिसमें इस रिसर्च को दर्शाया गया है कि कैसे जब रोबोट को हल्का दर्द दिया जाता है तो रोबोट की आर्म दर्द महसूस करते हुए हल्की-सी प्रतिक्रिया देती है और वापस अपनी जगह पर आ जाती है। मध्यम सीमा पर दर्द देने पर रोबोटिक आर्म तेजी से प्रतिक्रिया देते हुए नीचे की तरफ जाती है और दर्द खत्म होने पर ही वापस अपनी सही स्थिति में आती है। गम्भीर रूप से दर्द देने पर पहले से ही क्षतिग्रस्त रोबोट नुक्सान को कम करने के लिए निष्क्रिय मोड में चला जाता है।

