भारतीय शोधकर्त्ताओं ने कर दिखाया कमाल, प्लास्टिक से तैयार किया पैट्रोल

7/30/2016 6:22:30 PM

जालंधर : प्लास्टिक के कूड़े की समस्या से निपटने और पैट्रल -डीज़ल की किल्लत को दूर करने की दिशा में भारतीय शोधकर्ताओं को बड़ी कामयाबी मिली है। इससे भारत में जल्द ही प्लास्टिक को उच्च गुणवत्ता वाले पैट्रोल में बदलने में कामयाब हो जाएगा। यह उपलब्धी देहरादून स्थित भारतीय पैट्रोलियम संस्थान के शोधकर्ताओं ने हासिल की है। संस्थान ने देश में पहली बार ऐसी तकनीक विकसित की है, जो प्लास्टिक के कूड़े को पैट्रोलियम उत्पादों में तबदील कर देती है। यह ग्रीन तकनीक अब तक जर्मनी, जापान और अमरीका के पास ही थी, जबकि आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में इस पर काम ही चल रहा है।

इस तरह होता है प्लास्टिक पैट्रोल-डीजल में तबदील
इस तकनीक की मदद से प्लास्टिक को उपयुक्त उत्प्रेरकों से मिलाकर गैसोलीन, डीजल या खुश्बूदार गैसों में बदला जाता है। इस प्रक्रिया में आम उत्पाद के रूप में एल.पी.जी. भी पैदा होती है। इस प्रक्रिया में पैदा होने वाले डीजल में सल्फर होता है, जिसकी वजह से इस को बहुत उच्च गुणवत्ता वाला का कहा जाता है। इसके इस्तेमाल से इंजन में से निकलने वाला धुला कम खतरनाक होगा। इसके इलावा यह आम डीजल की तुलना में व्हीकल की माइलेज 2 किलोमीटर प्रति लीटर तक बढ़ा देगा।

बनाने की लागत भी कम
संस्थान के निर्देशक एम.ओ. गर्ग के अनुसार पैट्रोल की देश भर में कीमत इस समय 70 से 80 रुपए प्रति लीटर तक है, लेकिन यदि इस तकनीक से पेट्रोल निकाला जाता है तो उसकी कीमत 30 से 40 रुपए प्रति लीटर होगी।

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