आकाशगंगा के आकार को लेकर सामने आया हैरानीजनक तथ्य
6/2/2016 8:18:36 AM

आकार को अंकों में नहीं किया जा सकता बयां
जालंधर : आकाशगंगा के कई रहस्य हैं जो अभी तक वैज्ञानिकों द्वारा सुलझाए नहीं गए। तारों के इस विशाल समूह में हमारा सौरमंडल एक बहुत ही छोटा-सा हिस्सा है। आकाशगंगा में डार्क मैटर जैसी अनसुलझी पहेलियां, अनगिनत तारे, ग्रह, एस्ट्राइड्ज और स्पेस मलबा आदि की भरमार है। कईयों का यह सवाल होता है कि हमारी आकाशगंगा का आकार कितना है या इसका कुल द्रव्यमान (Mass) कितना है। हालांकि वैज्ञानिक सूर्य के द्रव्यमान को मुख्य रख कर एक अंदाजे के तौर पर इसका जवाब देते हैं पर कनाडा में मैकमास्टर यूनिवर्सिटी से फिजिक्स और एस्ट्रोनामी में पी.एच.डी. की कैंडीडेट गुएंडलिन ईडी का मानना है कि उनके पास इस बात का जवाब है:
जिस तरह से गुएंडलिन ने आकाशगंगा के द्रव्यमान को बयान किया है, उसे किसी भी भाषा या अंकों में बयान करना थोड़ा मुश्किल है। इसको इस तरह बताया जा सकता है, सूर्य के द्रव्यमान को 700 बिलियन से गुणा किया जाए तो जो जवाब मिलेगा वह हमारी आकाशगंगा का द्रव्यमान होगा। अगर आप अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहे हैं तो बता दें कि सूर्य का द्रव्यमान 2 नैनोलियन (2,000,000,000,000,000, 000,000, 000,000,000) किलोग्राम है जो हमारी धरती से 2,30,000 गुणा ज्यादा है।
ऐसे मापा गया आकाशगंगा को
गुएंडलिन द्वारा ग्लैक्सी के द्रव्यमान को मापने के लिए बिल्कुल नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिसमें आकाशगंगा के बाहरी तारों के समूह के वेग तथा उनकी स्थिति माप कर आकाशगंगा के द्रव्यमान का अंदाजा लगाया है। गुएंडलिन का कहना है कि जब इस तकनीक को उसने बाहरी अंतरिक्ष में आजमाया तो अंदाजे हैरान करने वाले थे और उसने यह भी कहा कि हमारी आकाशगंगा का आकार बाहरी अंतरिक्ष में मौजूद अन्य ग्लैक्सियों से कहीं छोटा है।
मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में फिजिक्स और एस्ट्रोनामी के प्रोफैसर विलियम हैरिस की सुपरविजन में गुएंडलिन द्वारा अपनी इस खोज को विनिपिग में होने जा रही कैनेडियन एस्ट्रानोमिकल सोसाइटी की कांफ्रैंस में पेश किया जाएगा।
आकाशगंगा के कुछ खास पहलू
- अगर आप ग्लैक्सी के तारों को एक तारा प्रति सैकंड के हिसाब से गिनना शुरू करें तो सभी तारे गिनने में 3000 साल लगेंगे।
- आकाशगंगा के कोर में एक विशाल ब्लैक होल है जिसका आकार सूर्य से 4 मिलियन गुणा ज्यादा है।
- सूर्य 220 किलोमीटर प्रति सैकंड की गति से आकाशगंगा की परिक्रमा करता है।
- सूर्य को आकाशगंगा का एक चक्कर लगाने में 230 मिलियन साल का समय लगता है।
- प्रकाश को आकाशगंगा के एक सिरे से दूसरे सिरे तक जाने में 1,00,000 साल का समय लगता है।