अब चिकन सूप से दौड़ेंगी कारें !

5/29/2016 1:52:29 PM

जालंधर: ईंधन के प्राकृतिक स्रोतों में कमी आने के कारण पूरी दुनिया में कई खोजकर्ता अन्य वैकल्पिक के लिए कोई न कोई उपाय ढूँढ रहे हैं, जिस में इलैक्ट्रिक कारों और हाईड्रोजन फ्यूल प्रमुख उदाहरण हैं परन्तु केरला वैटरनरी एंड एनिमल विज्ञान यूनिवर्सिटी के खोजकर्ता एक ऐसी रिर्सच कर रहे हैं जिस में शायद चिकन कार में फ्यूल की जगह ले ले। जी हाँ सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है परन्तु यह सत्य है। 

 
पिछले एक साल से इस यूनिवर्सिटी में स्कूल आफ बाययो एनर्जी एंड फार्म वेस्ट मैनेजमेंट में जान इब्राहम की टीम एक छोटे प्रोटोटाइप पलांट में वेस्ट हुए बुआइलर चिकन के साथ बायो डीज़ल बनाने की कोशिश कर रही है और पिछले कई महीनों से यूनिवर्सिटी की मल्टी यूटीविटी व्हीकल पर इस चिकन बेसड फ्यूल की टेस्टिंग कर रहे हैं। टीम ने इस के पेटैंट के लिए भी अप्लाई किया है। 
 
इस टीम की तरफ से भारत पैट्रोलियम निगम लिमटिड की क्वालिटी कंट्रोल लैबारोट्री को इस बाययो डीज़ल की टेस्टिंग के लिए सैंपल भी भेजे हैं और उन की तरफ से इस को बी. आई. एस. स्टैंडर्ड्स पर सरल बताया गया है। डा. जान का कहना है कि चिकन बेसड बायो फ्यूल एक बढ़िया ईंधन का स्रोत बन सकता है। एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ केरला में ही 3 से 5 लाख चिकन हर रोज़ खाया जाता हैं, जिस का मतलब है खाने के बाद भी 350 टन चिकन का बचा कूचा हिस्सा वेस्ट हो जाता है। अगर इस वेस्ट को हाई टैंपरेचर पर पकाया जाए तो इस में से 10 प्रतिशत ऐकट्रैकटेबल आईल, 30 प्रतिशत जानवरों का खाना और 62 प्रतिशत प्रोटीन निकल सकती है जिस की कीमत 20 रुपए प्रति किलो होगी। 
 
डा. जान ने बताया कि इसमें से 96 प्रतिशत को बायो डीज़ल में बदला जा सकता है और इसमें से बचा कुछ हिस्सा ग्लिसरीन में बदल जाता है जिस को कॉस्मेटिक्स का समान बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जिस कारण वेस्ट होते चिकन स्टाक को भविष्य का ईंधन स्रोत कहना गलत नहीं होगा। 

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News

static