दबाव के आगे झुकी YouTube, बदल सकती है अपनी हरासमैंट पालिसीज़

6/6/2019 3:28:35 PM

गैजेट डैस्क : पिछले कुछ समय से YouTube की हरासमेंट पॉलिसीज़ यूट्यूब क्रिएटर्स के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं। यूट्यूब क्रिएटर्स कार्लोस माज़ा और स्टीवन क्राउडर द्वारा इसे काफी महत्वपूर्ण मुद्दा बताए जाने के बाद जनता के दबाव में आकर कम्पनी अपनी हरासमैंट पालिसीज यानी उत्पीड़न नीतियों पर पुनर्विचार करेगी।

  • द वर्ज की रिपोर्ट के मुताबिक YouTube ने पत्रकारों, विशेषज्ञों, रचनाकारों से परामर्श करने का वादा किया है और कहा है कि जिन लोगों ने यूट्यूब के जरिए उत्पीड़न का अनुभव किया है उनसे कम्पनी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि अपनी नीतियों को कैसे अपडेट किया जाए।

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YouTube के सामने चुनौतियां

यूट्यूब का कहना है कि उत्पीड़न वाली वीडियोज़ पर कन्ट्रोल कर पाने में कम्पनी के सामने कई बड़ी चुनौतियां आई हैं, लेकिन यूट्यूब ने हमेशा निर्माता की परवाह किए बिना अपनी मौजूदा नीतियों को कठोरता से लागू किया है। 2019 की पहली तिमाही में यूट्यूब ने हरासमैंट वाली वीडियोज़ से नियमों का उल्लंघन होने पर हजारों वीडियो और अकाउंटस को हटाया है। वहीं करोड़ो कमैंट्स को रिमूव किया गया है।

यूजर्स बढ़ा रहे कम्पनी की समस्या

ओपन प्लैटफोर्म होने के कारण लोग कई बार यूट्यूब पर वीडियो देखते समय आक्रामक हो कर कमैंट करते हैं। यानी कामेडी वीडियोज़, गानों और पालिटिकल वीडियोज़ को लेकर लोग आक्रमक हो जाते हैं और ऐसे में कम्पनी के लिए भी समस्या पैदा हो जाती है।

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क्या है कम्पनी की हरासमैंट और हेट स्पीच पालिसी

  • यूट्यूब की हरासमेंट पालिसी ऐसी वीडियोज़ पर काम करती हैं जिनमें उत्पीड़न,धमकी या किसी व्यक्ति को अपमानित करने वाला कन्टैंट शामिल होता है। ऐसे में पूरी वीडियो पर यूट्यूब हरासमैंट पालिसी के अंतरग्रत एक्शन लेती है।
  • हेट स्पीच की बात की जाए तो अगर कोई वीडियो किसी के प्रति घृणा को उकसाने या बढ़ावा देने के लिए बनाई जाती है या फिर हिंसा भड़काने का प्रयास कर रही है तो यूट्यूब उसे हेट स्पीच पालिसी के अंतरग्रत देखती है। यानी अगर किसी गाने में भी अपमानजनक भाषा का उपयोग किया जाता है तो वह हेट स्पीच पालिसी के अंतरग्रत आती है। ऐसे में यह वीडियो यूट्यूब नीतियों का उल्लंघन करती है और ऐसी वीडियोज़ को हटा दिया जाता है। 

मूल्यवान भाषणों पर यूट्यूब की नजर

यूट्यूब का कहना है कि अगर सभी तरह के कन्टैंट को वीडियो प्लैटफोर्म से हटा दिया जाए तो कई मूल्यवान भाषण खो जाएंगे और ऐसे ही भाषण हर जगह लोगों को अपनी आवाज उठाने की अनुमति देते हैं। ऐसे में वीडियोज़ को पहचान कर उसे रिमूव करने की जरूरत है। इसी लिए नई नीतियों पर विचार हो रहा है। 

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14 वर्षों में YouTube में देखने को मिले काफी बदलाव

आपको बता दें कि 14 वर्ष पहले YouTube को शुरू किया गया था और तब से ही कम्पनी इस प्लैटफोर्म को बेहतर बनाने में लगी हुई है ताकि लोग इसके जरिए आसानी से कनैक्ट हो सकें और अपने अनुभन को दुनिया के सामने शेयर कर सकें। समस्याओं के सामने आने पर अब कम्पनी इनसे निपटने की हर एक सम्भव कोशिश में जुटी है।

  • आपको बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में, आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चेतावनी दी थी कि भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कहा था कि आईटी मंत्रालय ने पहले ही सोशल मीडिया और ऑनलाइन कंपनियों के लिए नियमों को कड़ा करने का काम शुरू कर दिया है।

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Hitesh

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