अमरीका ने दी चेतावनी, कोई भी देश न उपयोग करे Huawei की 5G टैक्नोलॉजी

11/25/2018 11:16:12 AM

गैजेट डैस्क : चीन की दूरसंचार उपकरण निर्माता कम्पनी हुवावेई अन्य देशों के लिए एक बहुत ही बड़ा खतरा बन कर सामने आई है। अमरीका ने कनाडा समेत अन्य कई देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे चीनी कम्पनी हुवावेई द्वारा बनाए गए उपकरणों का उपयोग न करें क्योंकि इससे साइबर सिक्योरिटी को खतरा है। द वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक इस मुद्दे को लेकर अमरीकी सरकार ने जर्मनी, जापान, इटली और अन्य दोस्ताना देशों तक पहुंच बनाई है। अमरीकी अधिकारी इन देशों के प्रतिनिधियों के साथ बात तक कर  रहे हैं और उन्हें बता रहे हैं कि हुवावेई द्वारा बनाए गए 5G कम्पोनैंट्स का उपयोग करने से उनके देश को साइबर सिक्योरिटी रिस्क पैदा हो सकता है। 

चीन सरकार के साथ मिली हुई है हुवावेई

अमरीकी सरकार वर्ष 2012 से इस कम्पनी को ट्रैक कर रही है और अब तो कम्पनी ने इसे नैशनल सिक्योरिटी रिस्क तक कह दिया है। अमरीका का कहना है कि कम्पनी चीन सरकार के साथ मिली हुई है और चीन सरकार को लोगों के निजी डाटा तक पहुंच बनाने दे रही है। अमरीका में तो इस साल के मध्यवर्ती चुनावों से ठीक पहले अमरीकी सरकार ने Huawei और ZTE के डिवाइसिस को बैन तक कर दिया था।

साइबर अटैक होने का खतरा

द वाल स्ट्रीट जर्नल ने बताया है कि अमरीकी अधिकारी ने जर्मनी, जापान और इटली के संक्षिप्त प्रतिनिधियों को वहां की सरकारी व कमर्शियल जगहों पर हुवावेई और ZTE के कम्पोनैंट्स का उपयोग करने से मना किया है क्योंकि इनसे साइबर अटैक होने का खतरा है।

मिलिट्री की सुरक्षा के लिए उठाया गया अहम कदम

आपको बता दें कि अमरीकी मिलिट्री बेसिस में उपयोग होने वाले सैटेलाइट्स और टैलीकम्युनिकेशन्स नैटवर्क अमरीका द्वारा ही बनाए गए हैं, लेकिन इनके जरिए सिर्फ संवेदनशील संचार स्थापित किया जाता है, वहीं मिलिट्री वायस और डाटा का उपयोग कमर्शियल नैटवर्क्स का ही करती है जिनमें हुवावेई कम्पनी के उपकरण लगाए हो सकते हैं एक यह भी कारण है कि इसे बैन किया गया है। 

आस्ट्रेलिया में भी बैन हुई हुवावेई

अब देखने वाली बात यह होगी कि अमरीकी सरकार की तरह अन्य देश भी उनके कहने पर इसे कब तक बैन करते हैं लेकिन फिलहाल आस्ट्रेलिया ने देश की सुरक्षा को लेकर इसे बैन कर दिया है। आपको बता दें कि 5G इक्विपमैंट को लेकर दुनिया भर में लीडिंग सप्लायर हुवावेई कम्पनी को ही माना जाता है। यह कम्पनी अपने प्रोडक्ट्स में फेरबदल कर उन्हें बाकी की कम्पनियों से कम कीमत पर बेचती है। इससे अब भारत को रिस्क है क्योंकि भारत में क्वालिटी से ज्यादा लोग सस्ती चीजों को खरीदना ही अपनी अक्लमंदी समझते हैं लेकिन इनसे साइबर सिक्योरिटी को खतरा है।

अमरीकी अधिकारी का बयान

एक अधिकारी ने द वाल स्ट्रीट जर्नल को बताया है कि पूरी दुनिया के देशों तक हम यह बात पहुंचाना चाहते हैं कि नए टैलीकम्युनिकेशन इनफ्रास्ट्रक्चर से साइबरथ्रैट का खतरा बढ़ सकता है। जैसे कि लोग अब 5G पर मूव करने की सोच रहे हैं तो हम बता दें कि इससे साइबर अटैक्स को और भी बढ़ावा मिल सकता है।

अब भी नहीं समझ रहा भारत

हुवावेई कम्पनी पर जहां बाकी के देश बैन लगा रहे हैं, वहीं भारतीयों को अभी भी यह समझ नहीं आ रहा कि हुवावेई जैसी कम्पनियां देश की सुरक्षा को लेकर एक बहुत ही बड़ा खतरा पैदा कर सकती हैं।

  • आपको बता दें कि देश की राजधानी दिल्ली में 25 से लेकर 27 अक्तूबर तक इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) इवैंट का आयोजन हुआ था। इस दौरान हुवावेई कम्पनी का यहां दिल खोल कर स्वागत किया गया था। हैरत की बात यह है कि ऐसी कम्पनी जिसको लेकर दुनिया भर से शिकायतें आ रही हैं उसे इवैंट के दौरान भारत में खास मंच दिया गया। इवैंट के दौरान कम्पनी के CEO जे शेन ने कहा था कि 5G तकनीक के लिए हम लोग खास इक्विपमैंंट तैयार कर रहे हैं ताकि खास तरह के कामों में इसका इस्तेमाल किया जा सके। आम जनता के लिए 5G तकनीक वर्ष 2020 तक आएगी। यानी कम्पनी पूरी योजना बनाए हुए है कि भारत में 5G तकनीक को वह ही लाएगी। 
  • भारत सरकार को हम बता दें कि ऐसी कम्पनी जिसको लेकर अमरीका व अब तो आस्ट्रेलिया ने भी बैन लगा दिया है, उसे भारत लाना खतरे से खाली नहीं है। सिर्फ 5G तकनीक को लेकर हम देश की सुरक्षा को खतरे में नहीं डाल सकते। ऐसे में सही यही रहेगा कि भारत में इस तरह की चाइनीज कम्पनियों को न लाया जाए ताकि आने वाले समय में साइबर सिक्योरिटी थ्रैट्स से बचा जा सके। 

Hitesh