इंटरनेट अचानक बंद नहीं करती सरकार, पहले करती है कई प्रक्रियाओं को पूरा

12/23/2019 6:13:41 PM

गैजेट डैस्क: भारत इंटरनेट बंद करने के मामले में सबसे ऊपर है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत सरकार इंटरनेट को कैसे बंद करती है। नहीं, तो इस खबर में हम यही बताने वाले हैं कि केंद्र सरकार इंटरनेट पर बैन लगाने के लिए किस प्रक्रिया को पूरा करती है। आईये जानते हैं। 

  1. केंद्र या राज्य के गृह सचिव इंटरनेट को बैन करने के लिए ऑर्डर देते हैं।
  2. इंटरनेट बैन करने वाले इस ऑर्डर को एसपी या उससे ऊपर के रैंक वाले अधिकारी के जरिए भेजा जाता है जो टेलीकॉम कंपनी को उस राज्य में इंटरनेट बैन करने के लिए कहता है।
  3. इसके बाद इस ऑर्डर को अगले वर्किंग डे में सरकार के रिव्यू पैनल के पास भेज दिया जाता है।
  4. कैबिनेट सेक्रेटरी, लॉ सेक्रेटरी और टेलीकम्युनिकेशन्स सेक्रेटरी वाला यह पैनल पांच दिन तक ऑर्डर का रिव्यू करता है। दूसरी तरफ राज्य सरकार की तरफ से दिए गए ऑर्डर के रिव्यू में चीफ सेक्रेटरी और लॉ सेक्रेटरी भी शामिल होते हैं। मंजूरी मिलने के बाद इंटरनेट पर बैन लग जाता है।

जॉइंट सेक्रेटरी धारा 144 के दौरान ही लगता है इंटरनैट पर बैन

केंद्र और राज्य के गृह सचिव द्वारा चुने गए जॉइंट सेक्रेटरी धारा 144 के दौरान इंटरनेट पर बैन लगाने का आदेश दे सकते हैं। इस फैसले को लेकर जॉइंट सेक्रेटरी को 24 घंटे के अंदर गृह सचिव से मंजूरी लेनी होती है।

इंटरनैट बैन के नियमों में हो चुका है बदलाव

वर्ष 2017 से इंटरनेट बंद करने का आदेश क्षेत्र के डीएम द्वारा दिया जाता था। इसके बाद केंद्र सरकार ने इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के तहत टेम्प्ररी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी) नियम में बदलाव कर दिया और अब केंद्र या राज्य के गृह सचिव ही इंटरनेट बैन का आदेश दे सकते हैं।

इंटरनेट बंद करने के मामले में भारत सबसे आगे

इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशन्स ने बताया कि भारत इंटरनेट बंद करने के मामले में दूसरे देशों से बहुत आगे है। इंटरनेट पर बैन लगने से देश को आर्थिक नुकसान भी होता है, लेकिन फिर भी यहां इंटरनैट बंद किया जाता है।

Hitesh