दुनिया में पहली बार की गई रोबोट से रीढ़ की हड्डी की सर्जरी

5/10/2018 3:45:53 PM

- High Risk में बचाई गई रोगी की जिंदगी

- लगातार 20 घंटों तक चला ऑपरेशन

जालंधर : जानलेवा बीमारी के होने पर कई बार कैंसर ट्यूमर शरीर में ऐसी जगहों पर पैदा हो जाते हैं जहां से उन्हें हटाते समय रोगी की जान जाने का खतरा रहता है। इस जोखिम को कम करते हुए रोबोट की मदद से दुनिया की पहली रीढ़ की हड्डी की सर्जरी को सफलतापूर्फक पूरा कर लिया गया है जिससे रोगी को नई जिंदगी मिली है। इस सर्जरी में जान जाने के हाई रिस्क को कम करते हुए सफल ऑपरेशन से सर्जनों ने एक नई उपलब्धि को हासिल किया है। इस ग्राउंडब्रैकिंग सर्जरी को अमरीका की यूनिवर्सिटी ऑफ पेनिसिलवेनिया (Pennsylvania) के अस्पताल में बनाए गए ऑपरेशन थियेटर में लगातार 20 घंटों तक किया गया है। वैसे इस प्रक्रिया में दो दिनों का समय लगा है। 

 

27 वर्षीय मरीज को मिली नई जिंदगी
इस सर्जरी के दौरान TORS (trans-oral robot ) नामक सर्जिकल रोबोट की कटिंग ऐज रोबोटिक आर्म्स से 27 वर्षीय मरीज नोह पर्निकोफ (Noah Pernikoff’s) का सफल ऑपरेशन किया गया। इस सर्जरी के दौरान उनके मुह से होते हुए गर्दन में मौजूद टियूमर को निकाला गया।

 

सर्जरी में था भारी जोखिम
रोगी की गर्दन में ट्यूमर होने के कारण डॉक्टर्स को डर सता रहा था कि अगर थोड़ी सी भी चूक हुई तो रोगी को पर्मानैंट पैरलाइसिस हो सकता है। वहीं अगर पूरे टियूमर को रिमूव नहीं किया जाता तो यह रोगी की पीठ की तरफ तेजी से बढ़ना शुरू हो जाएगा जिससे रोगी की जान बचाना और भी मुश्किल हो जाएगा, लेकिन इस रोबोट की मदद से ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया।  

 

तीन चरणों में पूरा हुआ ऑपरेशन
इस ऑपरेशन को तीन चरणों में पूरा किया गया है। पहले चरण में न्यूरोसर्जन्स ने रोगी की गर्दन तक पहुंच बना कर टियूमर के इर्द-गिर्द की रीढ़ की हड्डी को काट कर अलग किया। जिसके बाद 3 हैड और नैक सर्जन्स ने सर्जिकल रोबोट की मदद से रोगी के मुह से होते हुए इन टियूमर्स को रिमूव किया। इसे हटाने के बाद खाली हुई जगह पर एक हिप बोन लगाई गई व रॉड्स की मदद से इस हिस्से को स्थिरता प्रदान की गई।

 

रोगी के लिए कम दर्दनाक है रोबोटिक सर्जरी
रोगी को पैरेलाइज होने से बचाने वाली इस सफलतापूर्वक सर्जरी के बाद माना जा रहा है कि रोबोट्स की मदद से इस तरह के सम्वेदनशील टिश्यूज़ को कम जोखिम में  सुरक्षित तरीके से हटाया जा सकता है। यह तकनीक रोगी के लिए कम दर्दनाक है व इससे इलाज करने पर काफी कम समय में रिकवरी की जा सकती है। 

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