चुनाव से पहले Whatsapp सख्त, अब एडमिन बिना इजाजत ग्रुप में किसी को जोड़ नहीं पाएंगे

4/3/2019 1:12:14 PM

गैजेट डेस्कः आम चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। ऐसे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मेसेज की बाढ़ आ जाती है। ऐसे में कौन सी जानकारी फेक है और कौन सी सही यह समझना बहुत जरूरी है। फर्जी खबरों से निपटने के लिए WhatsApp ने मंगलवार को ‘चेकपॉइंट टिपलाइन’ पेश की। इसके माध्यम से लोग उन्हें मिलने वाली जानकारी की प्रमाणिकता जांच सकते हैं। WhatsApp पर मालिकाना हक रखने वाली कंपनी फेसबुक ने एक बयान में कहा कि इस सेवा को भारत के एक मीडिया कौशल स्टार्टअप ‘प्रोटो’ ने पेश किया है।  इस सर्विस की लॉन्चिंग के लिए इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स (ICFJ) के साथ असोसिएटेड मीडिया स्टार्टअप PROTO के साथ पार्टनरशिप की गई है। चेकप्वाइंट की मदद से मेसेजिंग ऐप प्लेटफॉर्म पर शेयर की गई जानकारी की सत्यता को परखा जा सकेगा।

क्या है ‘चेकपॉइंट टिपलाइन’
वॉट्सऐप पर मेसेजिंग सर्विस इंक्रिप्टेड होती है यानी कोई थर्ड पार्टी मेसेज को नहीं पढ़ सकता। यह टिपलाइन सर्विस तब काम करती है जब कोई यूजर अगर किसी मेसेज को वैरिफाई करना चाहता है तो ऐसे में PROTO थर्ड पार्टी नहीं बल्कि एक रिसीवर के तौर पर काम करता है। यह टिपलाइन गलत जानकारियों एवं अफवाहों का डाटाबेस तैयार करने में मदद करेगी। इससे चुनाव के दौरान ‘चेकपॉइंट’ के लिए इन जानकारियों का अध्ययन किया जा सकेगा। चेकपॉइंट एक शोध परियोजना के तौर पर चालू की गई है जिसमें WhatsApp की ओर से तकनीकी सहयोग दिया जा रहा है।’’ कंपनी ने कहा कि देश में लोग उन्हें मिलने वाली गलत जानकारियों या अफवाहों को WhatsApp के +91-9643-000-888 नंबर पर चेकपॉइंट टिपलाइन को भेज सकते हैं।


ऐसे करेगा काम
एक बार जब कोई उपयोक्ता टिपलाइन को यह सूचना भेज देगा तब प्रोटो अपने प्रमाणन केंद्र पर जानकारी के सही या गलत होने की पुष्टि कर उपयोक्ता को सूचित कर देगा। इस पुष्टि से उपयोक्ता को पता चल जाएगा कि उसे मिला संदेश सही, गलत, भ्रामक या विवादित में से क्या है। प्रोटो का प्रमाणन केंद्र तस्वीर, वीडियो और लिखित संदेश की पुष्टि करने में सक्षम है। यह अंग्रेजी के साथ हिंदी, तेलुगू, बांग्ला और मलयालम भाषा के संदेशों की पुष्टि कर सकता है।

Isha