दक्षिण रेलवे ने बैटरी से चलने वाले पहले रेल इंजन का किया परीक्षण

10/7/2020 1:06:13 PM

गैजेट डैस्क: दक्षिण रेलवे ने बिजली व बैटरी से चलने वाले डुअल मोड रेलवे इंजन पासूमाई (PASUMAI) को तैयार कर इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह इंजन उन ट्रैक पर भी आसानी से चल सकता है जहां बिजली की तारें अब तक नहीं लगाई गई हैं। इस बैटरी से चलने वाले इंजन को तैयार करने के लिए इसके इंजन कम्पार्टमेंट में दो बड़ी बैटरियां लगाई गई हैं जो इसे निरंतर पॉवर की सप्लाई करती हैं।

बैटरी पर 3.5 से 4 घंटे तक चल सकता है यह इंजन

यह इंजन बैटरी पर 3.5 से 4 घंटे तक लगातार चल सकता है। इसमें 3-स्टेप स्पीड कंट्रोलर लगा है साथ ही बैटरी को चार्ज करने के लिए दो फास्ट चार्जर भी लगाए गए हैं। एक सामान्य इंजन की तरह ही यह बैटरी से चलने वाला इंजन 24 डिब्बों को खींच सकता है जिनका कुल वजन 1080 मेट्रिक टन होता है।

इसे तैयार करने वाले कर्मचारियों को किया जाएगा सम्मानित

दक्षिण रेलवे ने इस इंजन को तैयार करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित करने की भी घोषणा की है। आपको बता दें कि अभी कुछ महीने पहले ही दक्षिण रेलवे ने एक रेल इंजन को बैटरी से चलने वाले इंजन में परिवर्तित करने का प्रोजेक्ट पास किया था। इसके तहत एक लोको शेड से एक इंजन को चुना गया जिसे अब 23061/WAG5HA इलेक्ट्रिक इंजन में बदल दिया गया है। रेलवे ने बहुत ही कम खर्च में इस इंजन को इलैक्ट्रिक इंजन में बदल दिया है।

15 किलोमीटर प्रतिघंटे की पकड़ता है रफ्तार

यह इंजन बैटरी मोड में डिब्बों के साथ 15 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल सकता है। रेलवे का कहना है कि यह इंजन उन परिस्थितियों में काफी काम का साबित हो सकता है जहां कोई दुर्घटना घटी हो या किसी कारण रेलवे की बिजली कटनी पड़ी हो। रेलवे का मानना है कि यह इंजन देश के रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को ईको-फ्रेंडली बनाने के लिए अपनी तरह की पहली पहल है। इस तरह के बैटरी से चलने वाले इंजन से रेलवे अपने खर्च को बचाएगी और पर्यावरण को भी इससे कोई नुकसान नहीं होगा।

Hitesh