बीमारी का शिकार हो रहे Selfies लवर्स, डॉक्टर भी परेशान

8/20/2018 10:58:07 AM

- BDD बीमारी का शिकार हो रहे सैल्फी लवर्स 
- सिर चढ़ कर बोल रहा एडिट की गई तस्वीर के जैसे दिखने का जुनून

जालंधर : आज के दौर में हर कोई अपने स्मार्टफोन से सैल्फी क्लिक कर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना काफी पसंद कर रहा है। टैक्नोलॉजी के इस दौर में जहां सैल्फीज़ को क्लिक कर लोगों को खुशी मिलती है वहीं इनके नकारात्मक पक्ष ने लोगों की सेहत पर बुरा असर डालना शुरू कर दिया है। हालात ये हो गए हैं कि लोग स्मार्टफोन से सैल्फी क्लिक कर उस पर अलग-अलग तरह के फिल्टर लगा रहे हैं  जिसके बाद वे डॉक्टर के पास जा कर एडिट की गई तस्वीर के जैसे अपने चेहरे को बेहतर बनाने के लिए कह रहे हैं जिससे डॉक्टर काफी परेशान हैं।

इन एप्स पर बढ़ी रही एडिटिंग पिक्स

एनगैजेट की रिपोर्ट के मुताबिक मिलियन्स लोग सैल्फीज़ को क्लिक कर इसे एडिट कर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और फेसट्यून जैसी एप्स भी इनमें शामिल हैं। 

क्यों बनाए गए ये फिल्टर

इन फिल्टर्स को खासतौर पर लोगों को सुन्दर दिखने के लिए बनाया गया है। इनकी मदद से लोग अपने रंग को गोरा करते हैं। अपनी नाक को सही व तीखी करते हैं। वहीं अपने होंठों को शेप में लाते हैं ताकि वे पहले से ज्यादा खूबसूरत लग सकें। लेकिन चौकाने वाली बात तो यह है कि लोग इन्हीं तस्वीरों को प्लास्टिक सर्जन्स के पास ले जाकर कह रहे हैं कि इस सॉफ्टवेयर में दिखाई जा रही तस्वीर के जैसे ही उन्हें सुन्दर बना दिया जाए। 

नकारात्मक प्रभाव का शिकार हो रहे सैल्फी लवर्स

डाक्टर्स का कहना है कि इस तरह के सॉफ्टवेयर्स से लोगों की दिमागी हालत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस बीमारी को BDD (बॉडी डिसमॉर्फिक डिसोडर) कहा गया है। इसके होने से लोगों को एडिट की गई तस्वीर को देख खुद में खामियां व दोष नजर आने लगते हैं जिसके बाद फिल्टर लगाई फोटो को देख ऐसा ही बनने का जुनून पैदा हो जाता है और सिर चढ़ कर बोलता है।

डाक्टरों को समझ नहीं आ रहा कि क्या दें जवाब 

लोग इन एप्स से तैयार की गई तस्वीरों को लेकर डॉक्टरों के पास प्लास्टिक सर्जरी करवाने पहुंचने लगे। इस तरह का केस सामने आने पर डॉक्टर पैसों के लालच में न आते हुए मरीज़ को मानसिक रूप से अस्थिर मानते हुए उन्हें रिजैक्ट कर रहे हैं। इससे लोगों की चिन्ता बढ़ रही है व कुछ एक तो डिप्रैशन का शिकार भी हो चुके हैं। 

 

अमेरिकन एकैडमी ऑफ फेशियल प्लास्टिक और कंस्ट्रक्टिव सर्जरी (AAFPRS) ने एक रिसर्च रिपोर्ट जारी कर बताया है कि 55 प्रतिशत सर्जन्स ने कहा है कि रोगी उनके पास अपनी एडिट की गई फोटो लेकर आए और कहा कि उन्हें इस फोटो की तरह ही बना दिया जाए। जिसके बाद डॉक्टर्स दुविधा में फंस गए और सोचने लगे कि आखिर यह हो क्या रहा है। डॉक्टर्स ने कहा कि अब तक लोग किसी सैलेब्रिटी की फोटो लेकर आते थे और कहते थे कि इसकी तरह चेहरे को प्लास्टिक सर्जरी से बना दिया जाए, लेकिन अब तो हद ही हो गई। 

सैल्फी लवर्स को है साइकैट्रिस्ट की जरूरत

डाक्टरों ने कहा है कि बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर नामक इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को मैन्टली फिट नहीं कहा जा सकता और उन्हें अब साइकैट्रिस्ट की जरूरत है। डा. वैशशी ने कहा है कि मैडीकल फील्ड के सभी लोगों को इस मुद्दे को लेकर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। इसके अलावा इस तरह की समस्या होने पर इसका उपचार करने की भी सख्त जरूरत है।

बीमारी का शिकार हुए स्नैपचैट यूजर्स

जॉन होम्पकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मैडिसिन में फेशियल प्लास्टिक और रीकंसट्रक्टिव सर्जरी के डायरैक्टर डा. पैट्रिक जे. बायरनी  ने कहा है कि रोगी "Snapchat dysmorphia" नामक बीमारी का शिकार हो रहे हैं और इससे टीनएजर्स सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। 

सोशल मीडिया की बढ़ रही समस्या

USC ऐननबर्ग स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन और जर्नलिकाम के क्लीनिकल प्रोफैसर और सोशल मीडिया एक्सपर्ट करेन नॉर्थ ने कहा है कि सोशल मीडिया को लेकर समस्याएं बढ़ती नजर आ रही हैं। यहां लोग खुद को अपने दोस्तों के साथ कम्पेयर करते हैं व सुपरमॉडल की तरह दिखने के लिए अलग-अलग फिल्टर्स का इस्तेमाल करते हैं। 

- उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि जैसे गली को पार करने से पहले हम बच्चों को यह कैसे करना है, इसके बारे में सिखाते हैं और इसी तरह ड्राइविंग लाइसैंस से पहले वाहन को सही तरीके से चलाना आना अनिवार्य है उसी तरह सोशल मीडिया को चलाने से पहले इसके उपयोग को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है। सिर्फ लाइक्स के चक्कर में डेली लाइफ में खींची गई तस्वीरों को एडिट कर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से नई मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है।

Hitesh