इंडियन यूजर्स जल्दी नहीं बदलना चाहते अपना प्रीमियम स्मार्टफोन

4/17/2019 3:17:33 PM

गैजेट डेस्कः हैंडसेट मेकर्स और मार्केट ट्रैकर्स का कहना है कि अब प्रीमियम स्मार्टफोन यूजर्स एक डिवाइस का दो साल से ज्यादा समय तक इस्तेमाल कर रहे हैं पहले कम से कम 12-18 महीने में वे लोग स्मार्टफोन बदलते थे। हांगकांग के मार्केट ट्रैकर काउंटरप्वाइंट रिसर्च के मुताबिक, पिछले साल भारतीय उपभोक्ताओं का 25,000 से 40,000 रुपये के बीच का चलाने का औसत समय 25 महीने तक था। वहीं, 40,000 रुपये से ज्यादा कीमत वाले हैंडसेट के लिए एवरेज टाइम पीरियड तकरीबन 30 महीने था।

इसलिए हो रही दिलचस्पी कम
इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव्स का कहना है कि अब हाई-एंड स्मार्टफोन में कोई बड़ा इनोवेशन नहीं हो रहा है। इसके अलावा 30 हजार रुपए से नीचे वाले सेगमेंट में ही कैमरा, मेमोरी और स्क्रीन क्वॉलिटी जैसे दमदार फीचर्स मिल जा रहे हैं। इससे उपभोक्ताओं की प्रीमियम स्मार्टफोन बदलने में दिलचस्पी कम हो रही है। ऐपल जैसे प्रीमियम ब्रांड्स अपने ज्यादातर मॉडल्स 20 पर्सेंट ड्यूटी देकर इंपोर्ट करते हैं और उनके प्रॉडक्ट्स की कीमत भी काफी बढ़ जाती है। इस वजह से भी फिजूलखर्ची को लेकर संवेदनशील हो रहे भारतीय उपभोक्ता प्रीमियम स्मार्टफोन को जल्द बदलने से कतराते हैं।

स्पाइस हॉटस्पॉट के सीईओ अतुल कपूर का कहना है, ‘प्रीमियम स्मार्टफोन का मार्केट उम्मीद के मुताबिक ग्रोथ नहीं कर रहा है। कोई भी नया प्रीमियम हैंडसेट लॉन्च होने के बाद उसका क्रेज महज दो ही महीनों में खत्म हो जाता है। इन स्मार्टफोन को वही लोग खरीदते हैं, जिनके पास खर्च करने के लिए जरूरत से ज्यादा रकम होती है। नहीं तो अब प्रीमियम फीचर्स से लैस कई सारे स्मार्टफोन 20,000 से भी कम रुपये में मिल जाते हैं।’ स्पाइस हॉटस्पॉट पूर्व और पश्चिम भारत में 100 से ज्यादा सेलफोन स्टोर्स चलाती है।

नोकिया स्मार्टफोन को बनाने वाले एचएमडी ग्लोबल के वाइस-प्रेसिडेंट और कंट्री हेड (भारत) अजेय मेहता ने बताया कि इस साल इंडस्ट्री 15 पर्सेंट स्मार्टफोन वॉल्यूम ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। काउंटरप्वाइंट की रिसर्च एनालिस्ट अंशिका जैन का कहना है कि चूंकि हाई क्वॉलिटी वाले हार्डवेयर के साथ प्रीमियम स्मार्टफोन की कीमत भी बढ़ रही है।

Isha