इंटरनेट स्पीड के मामले में भारत अपने पड़ोसी देशों से काफी पीछे

7/16/2018 12:24:48 PM

जालंधर- ब्रिटेन की इंटरनेट स्पीड टेस्टर कंपनी ओपनसिग्नल के मुताबिक भारत के पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार) की 4G डाटा स्पीड भारत के मुकाबले दोगुनी तेज है। भारत में 4G LTE (लॉन्ग टर्म ईवॉल्यूशन) की औसत स्पीड की बात करें, तो यह आज भी 6.1Mbps पर ही है, जबकि दुनिया के बाकी देश इंटरनेट स्पीड के मामले में कई गुना आगे निकल चुके हैं। देश में अगर इंटरनेट स्पीड की तुलना ग्लोबल स्पीड से करें, तो हम वैश्विक रूप से इस मामले में करीब एक तिहाई पीछे हैं। वहीं वैश्विक स्तर पर मोबाइल डाटा स्पीड की ग्लोबल एवरेज 17Mbps है। 

 

 

रैंकिंग लिस्ट

ऊकला (Ookla) ने दुनिया के 124 देशों की रैंकिंग लिस्ट तैयार की है। इस सूची में भारत को 109वां स्थान मिला है। भारत इस सूची में लगभग अंतिम पायदान के ही सबसे करीब है। ऊकला ने ये आंकड़े दुनिया भर में मौजूद 2G, 3G और 4G तकनीक पर टेस्ट कर अपने निष्कर्ष निकाले हैं। भारत में इंटरनेट डाउनलोडिंग की औसतन स्पीड 9.12Mbps है, जो वैश्विक औसत (23.54Mbps) से कहीं ज्यादा नीचे है।

 

जारी की गई इस सूची में श्रीलंका में 13.95Mbps, पाकिस्तान में 13.56Mbps, म्‍यांमार में15.56Mbps और भारत में 6.1Mbps की स्पीड है। वहीं दूसरी तरफ अमरीका में 16.31Mbps, यूके में 23.11Mbps और जापान में स्पीड 25.39Mbps की है। 

 

 

भारत में कम स्पीड का कारण 

ओपनसिग्नल के विश्लेषक पीटर बॉयलैंड ने बताया कि भारत में इंटरनेट स्पीड के धीमा होने का प्रमुख कारण स्मार्टफोन क्षेत्र में आ रही महाक्रांति है। भारत में लगातार हर महीने कई लाख नए उपभोक्ता इंटरनेट से जुड़ रहे हैं। इससे इंटरनेट की स्पीड बनाए रखने का दबाव बढ़ता है। इसके अलावा भारत में इंटरनेट की धीमी स्पीड का एक कारण यह भी है कि वह बड़े घनत्व में रहने वाली आबादी को इंटरनेट सर्विस मुहैया करा रहा है। इनती भारी डिमांड के स्तर पर जब आप उपभोक्ताओं को डाटा स्पीड मुहैया कराते हैं, तो उसकी पूर्ति करना एक बड़ी चुनौती हमेशा ही रहता है।

 

अापको बता दें कि इस समय भारत में  इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां 4G से आगे बढ़कर अब 5G की बात करने लगी हैं। घरेलू ब्रॉडबैंड के लिए फाइबर-बेस्ड पर आधारित कंपनियां भविष्य में 100Mbps स्पीड देने का दावा कर रही हैं। भारत में इंटरनेट यूजर्स के लिए बफरिंग की समस्या आज भी आम है। वहीं दुनिया के दूसरे देशों में इंटरनेट यूजर्स के लिए बफरिंग की समस्या न के बराबर है।

Jeevan