डीज़ल से ज्यादा पेट्रोल गाड़ियों को लोग कर रहे हैं पसंद, जानें इसके पीछे की वजह

12/19/2020 11:53:26 AM

ऑटो डैस्क: भारत में अब लोग डीज़ल गाड़ियों की बजाय पेट्रोल गाड़ियों को ज्यादा पसंद करने लगे हैं। किआ मोटर्स ने हाल ही में बिक्री के आंकड़े जारी किए थे जिनसे खुलासा हुआ है कि कॉम्पैक्ट एसयूवी सोनेट के 1.0 लीटर और 1.2 लीटर पेट्रोल इंजन वाले वेरिएंट की 60 फीसदी बुकिंग हुई है, जबकि बाकी हिस्सेदारी डीज़ल वेरियंट्स की है।

ऑटोमोबाइल कंपनियों की संस्था सियाम की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में पेट्रोल एसयूवी की हिस्सेदारी बढ़ी है। मिडसाइज सेगमेंट की एसयूवी खरीदने की चाह रखने वाले लोग भी डीज़ल की बजाय पेट्रोल वेरियंट्स को पसंद कर रहे हैं। वित्त वर्ष 20-21 की पहली छमाही में बिकने वाली हर पांच एसयूवी में से तीन पेट्रोल इंजन वाली थीं।

डीज़ल इंजन के साथ सिर्फ प्रीमियम कारें ही खरीदी जा रही हैं

जानकारों का मानना है कि बीएस6 मानकों के चलते डीज़ल इंजन की निर्माण लागत में बढ़ोतरी हो गई है। पेट्रोल इंजन के मुकाबले ये अंतर 2 लाख रुपये तक पहुंच गया है। यही बड़ी वजह है कि रेनो, मारुति, निसान, स्कोडा और फॉक्सवैगन ने डीज़ल इंजन के निर्माण से ही तौबा कर ली है। हालांकि मारुति ने ऐलान किया है कि कंपनी फिर से डीज़ल इंजन वाली कारें तैयार करेगा, जबकि बाकी कंपनियां केवल प्रीमियम कारों में ही डीज़ल इंजन दे रही हैं।

लगभग बराबर ही है रनिंग कॉस्ट

अब पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में कम अंतर रह गया है। जानकारो का मानना है कि जब पेट्रोल और डीज़ल वाहन की रनिंग कॉस्ट लगभग बराबर पहुंच जाएगी तो ग्राहक डीज़ल गाड़ी के लिए अतिरिक्त रकम क्यों चुकाएंगे। कुछ शहरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अब मात्र 7 से 8 रुपये तक का ही अंतर रह गया है, जबकि 2012 में यह 31 रुपये तक था।


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Hitesh

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