किसानों के लिए बनाया गया नैक्स्ट जनरेशन Agro drone (देखें वीडियो)

2/20/2019 6:11:05 PM

- 15 मिनट में 2 एकड़ जमीन पर करेगा स्प्रे

-  लागत व समय की होगी बचत

गैजेट डैस्क : फसलों पर कीटनाशकों का स्प्रे करने के लिए आम तौर पर ग्राउंड बेस्ड वर्कर्स का उपयोग होता है जो 20 किलोग्राम वजनी बैग को उठा कर धीरे-धीरे स्प्रे करते हैं। ऐसे में अगर जमीन एकड़ों में हो तो समय की काफी बरबादी होती है। इसी बात पर ध्यान देते हुए नैक्स्ट जनरेशन Agro drone को तैयार किया गया है जिसे एक बार फुल चार्ज कर 2 एकड़ जमीन पर स्प्रे किया जा सकता है। कैलिफोर्निया के एक शहर San Mateo की एग्रिकल्चर ड्रोन निर्माता कम्पनी AirBoard द्वारा Agro drone को तैयार किया गया है। 

  • कम्पनी ने बताया है कि इसे बनाने में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हुआ है। इसमें लगी बैटरी को इसकी निर्माता कम्पनी ने खुद तैयार किया है जो एक बार फुल चार्ज हो कर 15 मिनट तक इसे उड़ाने में मदद करती है जिससे 2 एकड़ (0.8 हैक्टेयर्स) जमीन को कवर किया जा सकता है। 

 

कहीं ज्यादा कीटनाशक उठाने की क्षमता

Agro drone की सबसे बड़ी खासियत है कि ये अन्य ड्रोन्स के बदले अधिक कीटनाशक ले जाने में सक्षम है। इसमें 60 लीटर कीटनाशक को उठने की क्षमता है जोकि साधारण एग्रीकल्चर ड्रोन के 10 से 15 लीटर से कहीं ज्यादा है। 

डाउनवार्ड फेसिंग रेडार तकनीक

इस ड्रोन में नई डाउनवार्ड फेसिंग रेडार तकनीक को शामिल किया गया है जो पौधों व ढलान वाली पहाड़ियों से ड्रोन की दूरी को डिटैक्ट करती है और सामान उंचाई बनाने में मदद करती है। यहीं कारण है कि स्प्रे करते समय कम कीटनाशकों का उपयोग होता है। इससे फसल की रक्षा करने पर आने वाली लागत की कमी होती है। 

100% इलैक्ट्रिक 

ड्रोन को उड़ाते समय पर्यावरण पर कोई भी नकरात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि ये पूरी तरह से इलैक्ट्रिक है। उद्यमी एल्विस स्ट्रूपेनीक्स (Elviss Straupenieks) ने बताया है कि बहुत से पैसे कीटनाशक-स्प्रे करते समय खर्च हो जाते हैं इसी बात पर ध्यान देते हुए कुशल तकनीक पर आधारित AirBoard ड्रोन को बनाया गया है। इसे इसी साल से यूरोप के खेतों में उपयोग करने के लिए उपलब्ध किया जाएगा। 

ऐसा होगी ड्रोन की उपलब्धता

एग्रो ड्रोन को पेय-पर यूज सर्विस के तहत उपलब्ध किया जाएगा यानी जितने समय के लिए किसान इस ड्रोन का उपयोग करेगा उसे उतनी देर के हिसाब से ही पैसे चुकाने होंगे। माना जा रहा है कि इसका उपयोग करते समय फसल की लागत में काफी कमी आएगी। 

Hitesh