सिक्योरिटी के लिए फिंगर प्रिंट्स नहीं दिमागी तरंगें हैं ज्यादा सुरक्षित

4/21/2016 10:37:20 AM

जालंधर : आमतौर पर व्यक्ति की पहचान को जांचने के लिए फिंगर प्रिंट्स की मदद ली जाती है या आंखों की स्कैनिंग की जाती है क्योंकि इसे तकनीकी दुनिया में पहचान करने का सबसे आसान तरीका माना जाता है। कई स्थानों पर तो डी.एन.ए. की जांच भी की जाती है।

बिंघमटन यूनिवर्सिटी की एक टीम द्वारा इलैक्ट्रोइनसैफ्लोग्राम हैड सैट द्वारा 50 लोगों की दिमागी तरंगों का परीक्षण किया गया जिसमें उन्हें 500 अलग-अलग तस्वीरें दिखाई। जैसे कि पिज़ज़ा का टुकड़ा, एक बोट आदि। वैज्ञानिकों का कहना है कि हर व्यक्ति के दिमाग की तरंगें दूसरे व्यक्ति से बिल्कुल अलग होती हैं और किए गए प्रयोग का नतीजा सौ फीसदी सही पाया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस प्रयोग में हिस्सा लेने वाले लोगों के दिमाग ने  हर एक तस्वीर के लिए अलग तरह का प्रभाव डाला। 

इसके बाद कम्प्यूटर द्वारा ब्रेन प्रिंट की सहायता से उन तस्वीरों की सही पहचान की गई जिसमें पाया गया कि हर व्यक्ति की दिमागी तरंगें एक अलग पैट्रन बनाती हैं। इस रिसर्च का प्रयोग सुरक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किया जा सकता है क्योंकि हर इंसान की दिमागी तरंगें अलग-अलग होती हैं  जिन्हें भविष्य में किसी सिक्योरिटी कोड की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है।


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