इस साल भारत में रहा ऑटोमैटिक कारों का जलवा
4/11/2016 12:00:17 PM

जालंधरः भारत में ऑटोमैटिक तकनीक से लैस कारों का चलन बढ़ रहा है। देश में बिकने वाली दस में से एक कार स्वचालित तकनीक वाली है। दिलचस्प बात यह है कि किसी ने भी यह अनुमान नहीं जताया था कि अगले चार साल तक ऐसी कारें इस आंकड़े को छू लेंगी। पिछले एक साल में शोरूम ऐसी कारों से पट गए हैं। खरीदारों को भी मैनुअल गियरबॉक्स के बदले एक नया विकल्प मिल गया है, जिसे वे आजमाने को पूरी तरह तैयार नजर आते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में ऑटोमैटिक तकनीक वाले वाहनों की बाजार हिस्सेदारी 10 प्रतिशत थी। विशेषज्ञों ने 2020 तक इस आंकड़े तक पहुंचने का अनुमान लगाया था। रिपोर्ट के अनुसार 2015 में ऑटोमैटिक कारों की हिस्सेदारी 165,000 यूनिट के साथ 6 प्रतिशत थी।
एक मोटे अनुमान के अनुसार 2016 में इनकी बिक्री बढ़कर दो लाख तक पहुंचने का अनुमान है और कम से तीन मॉडलों रेनो क्विड, टाटा टियागो और रेगिगो में इस साल के अंत तक ऑटोमैटिक गियरबॉक्स का विकल्प उपलब्ध हो जाएगा। परंपरागत महंगी तकनीक की जगह नया ऑटोमैटिक मैनुअल ट्रांसमिशन (एएमटी) आने से ऑटोमैटि तकनीक वाली कारों की मांग खासी बढ़ी है।
भारत में एएमटी तकनीक लाने वाली पहली कंपनी मारुति सुजूकी ने बढ़ती मांग के मद्देनजर एक एएमटी विनिर्माण संयंत्र भी लगाया है। मारुति सुजूकी इंडिया के कार्यकारी निदेशक सी वी रमन कहते हैं, ''सेलेरियो की जितनी बिक्री हुई, उनमें 50 प्रतिशत एजीएस संस्करण हैं। हमने एक संयंत्र भी स्थापित किया है, ताकि इस नई तकनीक को जोर-शोर से आगे बढ़ाया जा सके। वैगन आर और ऑल्टो की कुल बिक्री में नई तकनीक से लैस कारों की हिस्सेदारी क्रमश: 11 और 20 प्रतिशत रही। अब केवल इस नई तकनीक को लोकप्रिय बनाने और खरीदारों को इसकी खूबियों से अवगत कराने के मोर्चे पर काम करना है।''
पिछले साल मारुति की ऑटोमैटिक गियर प्रणाली वाली कारों की बिक्री 54,719 रही थी, जो 2014-15 में 30,017 थी। इस समय इसकी चार कारों (ऑल्टो, सेलेरियो, वैगन आर और डिज़ायर) में नई गियर प्रणाली लगी है जबकि दो कारों (सियाज और बलेनो) में परंपरागत कन्टीन्युअसली वैरिएबल ट्रांसमिशन (सीवीटी) तकनीक है।